Tuesday, January 31, 2012

pyaar

प्यार

प्यार  तो मनुष्य को जीने और मरने का मार्ग दिखाता है.
वास्तविक प्रेम जान की परवाह नहीं करता.
प्रेम जिलानेवाला है.अपने प्रेमी या प्रेमिका को आशा दिलाकर  आगे बढाने  वाला  है  
फिर भी कायर मनुष्य कभी-कभी प्रेम के नाम से आत्मा ह्त्या कर लेता  है.
मैंने बहुत देखा  और सुना  कि  खुदखुशी करने   में  
 नर    आगे  है.पौरुष कहाँ गया  प्यार के क्षेत्र  में. 
एक कुतिया के पीछे कई कुत्ते घेरते      है.
ऐसे ही आधुनिक सभ्यता के नाम से समाज में कन्याएँ  ज़रूर
प्रेम के चक्कर में पड़ना  और युवक  भी अपने व्यक्तित्व का परिचय  समझते है.
वैवाहिक पुरुष या स्त्री से प्यार करना भी फेशन हो गया है.
तलाक के मुकद्दमे की संख्या बढ़ रहीं हैं .
ऐसे भारत में क्यों हो रहा है./?
क्या अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव है//?
नहीं ,नैतिक शिक्षा का /आध्यात्मिक शिक्षा का  अभाव है.
त्याग,सत्य,संयम ,सहनशीलता , लज्जा   , आध्यात्मिक    भय  एक pati    एक -पत्नी   ,
कर्म-फल ,पाप-पुण्य,गर्भपात का पाप,  स्वर्ग-नरक  का भय आदि शिक्षित लोगों  में नहीं. 
ईश्वरीय      प्रेम के अभाव ही  इस सांस्कृतिक पतन का मूल है.

पुरुष सुरक्षा-संघ  बढ़ रहा है










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